Sanskrit Class 7 Chapter 14  Translations in Hindi/अनरिकायाः जिज्ञासा /Anarikaya Jigyasa

Sanskrit Class 7 Chapter 14  Translations in Hindi/अनरिकायाः जिज्ञासा /Anarikaya Jigyasa

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Sanskrit Class 7 Chapter 14  Translations in Hindi/अनरिकायाः जिज्ञासा/Anarikaya Jigyasa

अनरिकायाः जिज्ञासा/Anarikaya Jigyasa

क.👉 बालिकायाः अनरिकायाः मनसि सर्वदा महती जिज्ञासा भवति। अतः सा बहून प्रश्नान् पृच्छति।  तस्याः प्रश्नैः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत भ्रमति। प्रातः उत्थाय सा अन्वभवत यत अपश्यत् यत मनः प्रसन्नं नास्ति। मनोविनोदाय सा भ्रमितुं गृहात बहिः अगच्छत्।

सरलार्थ - 

बालिका अनरिका के मन में सदा बड़ी जिज्ञासा रहती है। अतः वह अनेक प्रश्न पूछती है। उसके प्रश्नों के द्वारा सभी की बुद्धि चक्र के समान घूमती है। सुबह उठकर उसने अनुभव किया कि उसका मन प्रसन्न नहीं है।  मन को प्रसन्न करने के लिए वह घूमने के लिए घर से  बाहर चली गई।  

Translation-

There is always a lot of curiosity in the mind of girl Anarika. So she Asks many questions. Through his questions, everyone's intellect spins like a wheel. Waking up in the morning, he realized that his mind was not happy. To please the mind, she went out of the house for a walk.

ख. 👉भ्रमणकाले सा  मार्गाः सुसज्जिताः सन्ति। सा चिन्तयति - किमर्थम् इयं सज्जा ? सा अस्मरत् यत् अद्य तु मन्त्री आगमिष्यति।  सः अत्र किमर्थम् आगमिष्यति इति विषये तस्याः जिज्ञासाः प्रारब्धाः।  गृहम् आगत्य सा पितरम् अपृच्छत् -" पितः! मन्त्री किमर्थं आगच्छति?" पिता अवदत् -"पुत्रि! नद्याः उपरि नवीनः सेतुः निर्मितः। तस्य उदघाटनार्थं मन्त्री आगच्छति। " 

सरलार्थ -

भ्रमण के समय उसने देखा की रस्ते सजे हुए हैं। वह सोचती है- ये किसलिए सजे हैं। वह याद करती है की आज तो मन्त्री आएंगे। "वह यहाँ किसलिए आएंगे?" इस विषय में उसकी आरम्भ हो गई। वह घर लौटकर आई और पिता से पूछी - है पिता ! मन्त्री किसलिए आ रहे हैं?" पिता जी बोले- हे पुत्री! नदी के ऊपर जो तथा पुल बनाया गया है, उसके उद्घाटन के लिए मंत्री आ रहे हैं।  

Translation-

While traveling, she saw that the road were decorated. She remembers that today the minister will come. "Why would he com here?" He got started in this matter. She came back home and asked her father - Father! Why is the minister coming?" The father said- O daughter! The minister is coming to inaugurate the bridge that has been built over the river.

ग. अनारिका पुनः अपृच्छत -"पितः! किं मन्त्री सेतोः निर्माणम् अकरोत?" पिता अकथयत् -" न हि पुत्रि! सेतुः निर्माणं कर्मकराः अकुर्वन।" पुनः अनारिकायाः प्रश्नः आसीत -"यदि कर्मकराः सेतोः निर्माणम् अकुर्वन, तदा मन्त्री किमर्थम् आगच्छति?" पिता अवदत् -"यतो हि सः अस्माकं देशस्य मन्त्री।" "पितः! सेतोः निर्माणाय प्रस्तराणि कुतः आयान्ति ? किं तानि मन्त्री ददाति?"

सरलार्थ -

अनारिका ने फिर पूछा- "हे पिता! क्या मंत्री ने पुल का निर्माण किया है?" पिता बोले- नहीं (निश्चित रूप से नहीं ) बेटी! पुल का निर्माण मजदूरों ने किया है।  पुनः अनारिका का प्रश्न था- यदि नौकरों ने पुल का निर्माण किया है, तब मन्त्री किसलिए आ रहे हैं ? पिता बोले- "क्योंकि वह हमारे देश के मन्त्री हैं।"  "हे पिता! पुल के निर्माण के लिए पत्थर कहाँ से आते हैं? क्या उन्हें मन्त्री देता है?"

Translation-

Anarika again asked-"O father! Has the minister built the bridge?" Father said -no(Not of course) Daughter! The bridge was built by the workers. Again Anarika's question was -If the servants have built the bridge, then why are the ministers coming? Father said-"Because he is the minister of our country." "Father! where do the stones to build the bridge come from? Does the minister give them?"


घ.👉 विरक्तभावेन् पिता उदतरत् -"अनारिके! प्रस्तराणि जनाः पर्वतेभ्यः आनयन्ति।" "पितः! तर्हि किम,एतदर्थं मन्त्री धनं ददाति? तस्य पार्श्वे धनानि कुतः आगच्छन्ति ?" एतान प्रश्नान् श्रुत्वा पिताSवदत् -"अरे! प्रजाः धनं प्रयच्छन्ति।" विस्मिता अनारिका पुनः अपृच्छत्-"पितः! कर्मकराः पर्वतेभ्यः प्रस्तराणि आनयन्ति। ते एव सेतुं निर्मान्ति। प्रजाः धनं ददाति। तथापि सेतोः उद्घटानार्थं मन्त्री किमर्थम् आगच्छति?"

सरलार्थ - 

विरक्तभाव से पिता उत्तर दिए -"हे अनारिका! पत्थर(तो) लोग पर्वत से  लाते हैं।" (फिर अनारिका पूछी) "हे पिता (जी)! तो क्या, इसके लिए मन्त्री धन देते हैं ? उसके पास धन कहाँ से आते हैं? इन प्रश्नों को सुनकर पिता जी बोले - अरे!  प्रजा सरकार के लिए धन देती है। आश्चर्यचकित अनारिका ने फिर पूछा "हे पिता! यदि मजदुर पर्वत से पत्थर लाते हैं। वे ही पुल का निर्माण करते हैं। प्रजा सरकार को धन देती है।  फिर भी पुल के उद्घाटन के लिए मन्त्री किसलिए आ रहे हैं?"

Translation-

The father replied with displeasure- " O Anarika! stones (so) people bring from the mountain."(Then asked Anarika) "O father! So what, does the minister give money for this? From where does the money come to him? Hearing these questions, the father said- Hey! people give money for the government. Surprised Anarika asked again "O Father! If the Laborers bring stones from the mountain. They build the bridge. The people give money to the government. Still, why is the minister coming to inaugurate the bridge?"

ङ.👉 पिता अवदत्-" प्रथममेव अहम् अकथयम् यत सः देशस्य मन्त्री अस्ति। स जनप्रतिनिधिः अपि अस्ति। जनतायाः धनेन् निर्मितस्य सेतोः उद्घाटनाय जनप्रतिनिधिः आमन्त्रित भवति। चल सुसज्जिता भूत्वा विद्यालयं चल। " अनारिकायाः  मनसि इतोSपि बहबः प्रश्नाः सन्ति। 

सरलार्थ -

पिता बोले- पहले ही मैंने कहा है कि वह ही देश के मन्त्री हैं। तू बहुत सवाल करती है। चलो! तैयार होकर विद्यालय चलो। अब भी अनारिका के मन में बहुत प्रश्न हैं। 

Translation-

Father said- I have already said that he is the minister of the country. You ask a lot of questions. Let us go! Get ready and go to school. Even now Anarika has many questions in her mind.

शब्दार्थाः (Word Meaning)

महती

बड़ी  

Great  

जिज्ञासा 

जानने की इच्छा 

Curiosity  

अन्वभवत 

अनुभव किया  

Felt  

 मनोविनोदाय 

मन प्रसन्न करने के लिए  

For recreation  

चिन्तयति 

सोचती है  

Thinks  

अस्मरत 

याद किया  

Remembered  

सेतुः 

पुल  

Bridge  

उदातरत 

उत्तर दिया  

answered  

सर्वकाराय 

सरकार के लिए  

for the government 

उद्घाटनार्थम 

उद्घाटन के लिए 

for the inauguration

निर्मान्ति  

निर्माण करते हैं/बनाते हैं  

construct

ददाति 

देते हैं  

give

प्रस्तराणि 

पत्थर  

stones

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