NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit chapter 10 जटायोः शौर्यम् 

NCERT Solutions for Class 9 Sanskrit chapter 10 जटायोः शौर्यम्

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जटायोः शौर्यम् 

अभ्यास 

Class 9 Sanskrit 

Chapter 10

1. एकपदेन उत्तरं लिखत -

(क) आयतलोचना का अस्ति ?

(ख) सा कं ददर्श ?

(ग) खगोत्तमः कीदृशीं गिरं व्याजहार ?

(घ) जटायुः काभ्यां रावणस्य गात्रे व्रणं चकार?  

(ङ) अरिन्दमः खगाधिपः कति बाहून व्यपाहरत ?

उत्तर :-

(क) सीता। 

(ख) गृध्रं। 

(ग) शुभां। 

(घ) (तीक्ष्णनखाभ्यां) चरणाभ्यां।  

(ङ) दश (वामबाहून)  

2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत -

(क) "जटायो! पश्य" इति का वदति ?

(ख) जटायुः रावणं किं कथयति ?

(ग) क्रोधवशात रावणः किं कर्तुम उद्यतः अभवत् ? 

(घ) पतगेश्वरः रावणस्य कीदृशं चापं सशरं बभञ्ज ?

(ङ) जटायुः केन् वामबाहुं दंशति ?

उत्तर :-

(क) "जटायो! पश्य" इति सीता वदति। 

(ख) जटायुः रावणं कथयति यत परदाराभिमर्शनात् नीचां मति निवर्तय। न तत्समाचरेद्धीरो यत्परोSस्य विगर्हयत्।  

(ग)  क्रोधवशात् रावणः जटायुं तलेनाभिजघानाशु। 

(घ) पतगेश्वरः रावणस्य मुक्ताममणिविभूषितम चापं सशरं बभञ्ज।  

(ङ) जटायुः तण्डेन वामबाहुं दंशति।   

3. उदाहरणमनुसृत्य णिनि-प्रत्ययप्रयोगं कृत्वा पदानि रचयत -

 यथा -

गुण +  णिनि

गुणिन (गुणी) 

 

दान + णिनि

दानिन (दानी) 

क  

कवच + णिनि 

--------- 

ख 

शर + णिनि 

--------- 

 ग 

कुशल  + णिनि

--------- 

 घ 

धन + णिनि

--------- 

 ङ 

दण्ड  + णिनि 

--------- 

उत्तर -

 यथा -

गुण +  णिनि

गुणिन् (गुणी) 

 

दान + णिनि

दानिन् (दानी) 

क  

कवच + णिनि 

कवचिन् (कवची)

ख 

शर + णिनि 

शरिन् (शरी) 

 ग 

कुशल  + णिनि

कुशलिन् (कुशली) 

 घ 

धन + णिनि

धनिन् (धनी)

 ङ 

दण्ड  + णिनि 

दण्डिन् (दण्डी)

(अ) रावणस्य जटायोश्च विशेषणानि सम्मिलितरूपेण लिखितानि तानि पृथक-पृथक कृत्वा लिखत -

 युवा, सशरः, वृद्धः, हताश्वः, महाबलः, पतगसत्तमः, भग्नधन्वा, महागृध्रः, खगाधिपः, क्रोधमूर्च्छितः, पतगेश्वरः, सरथः, कवची, शरी   

उत्तर -

 यथा - रावणः 

जटायुः  

 युवा 

वृद्धः  

सशरः

महाबलः  

हताश्वः 

पतगसत्तम्  

क्रोधमूर्च्छितः 

महागृध्रः  

सरथः 

खगाधिपः  

कवची 

पतगेश्वरः 

शरी, भग्नधन्वा 

4. 'क' स्तम्भे लिखितानां पदानां पर्यायाः 'ख' स्तम्भे लिखिताः। तान यथासमक्षं योजयत -

 क 

ख  

कवची 

अपतत्  

आशु 

पक्षीश्रेष्ठः  

विरथः 

पृथिव्याम्  

पपात 

कवचधारी  

भुवि 

शीघ्रम्  

पतगसत्तमः 

रथविहीनः 

उत्तर - 

क 

ख  

कवची 

कवचधारी  

आशु 

शीघ्रम् 

विरथः

रथविहीनः 

पपात 

अपतत्  

भुवि 

पृथिव्याम्  

पतगसत्तमः 

पक्षीश्रेष्ठः

5. अधोलिखितानां पदानां/विलोमपदानि मञ्जूषायां दत्तेषु पदेषु चित्वा यथासमक्षं लिखत -

मन्दम्, पुण्यकर्मणा, हसन्ती, अनार्य, अनतिक्रम्य, देवेन्द्रेण, प्रशंसेत, दक्षिणेन, युवा  

 

 

 पदानि 

विलोमशब्दाः  

 क 

विलपन्ती  

----------- 

 ख 

आर्य  

----------- 

 ग 

राक्षसेन्द्रेण  

----------- 

 घ 

पापकर्मणा  

----------- 

 ङ 

क्षिप्रम्  

----------- 

 च 

विगर्हयेत्  

----------- 

 छ 

वृद्धः  

----------- 

ज 

वामेन  

----------- 

झ 

अतिक्रम्य  

----------- 

 उत्तर -

 

 पदानि 

विलोमशब्दाः  

 क 

विलपन्ती  

हसन्ती 

 ख 

आर्य  

अनार्य  

 ग 

राक्षसेन्द्रेण  

देवेन्द्रण  

 घ 

पापकर्मणा  

पुण्यकर्मणा  

 ङ 

क्षिप्रम्  

मन्दं 

 च 

विगर्हयेत्  

प्रशंसेत्  

 छ 

वृद्धः  

युवा  

ज 

वामेन  

दक्षिणेन  

झ 

अतिक्रम्य  

अनतिक्रम्य  


6. (अ) अधोलिखितानि विशेषणपदानि प्रयुज्य संस्कृतवाक्यानि रचयत -

 क 

शुभाम्  

---------

 ख 

खगाधिपः 

--------- 

 ग 

हतसारथिः

---------

 घ 

वामेन  

---------

 ङ 

कवची  

--------- 

उत्तर -

 क 

शुभाम्  

जटायुः शुभाम् गिरम् अवदत्।   

 ख 

खगाधिपः 

खगाधिपः जटायुः तुण्डेन् वामबाहून व्यपाहरत्।   

 ग 

हतसारथिः

हतसारथि रावणः भुवि अपतत।  

 घ 

वामेन  

भास्करः वामेन हस्तेन लिखति। 

 ङ 

कवची  

रावणः कवची आसीत्। 


(आ) उदाहरणमनुसृत्य समस्तं पदं रचयत -

 यथा -

त्रयाणां लोकानां समाहारः  

त्रिलोकी  

क 

पञ्चानां वटानां समाहारः  

ख 

सप्तानाम् पदानां समाहारः   

ग 

अष्टानां भुजानां समाहारः  

घ 

चतुर्णां मुखानां समाहारः  

उत्तर -

 यथा -

त्रयाणां लोकानां समाहारः  

त्रिलोकी  

क 

पञ्चानां वटानां समाहारः  

= पञ्चवटी 

 ख 

सप्तानाम् पदानां समाहारः   

= सप्तपदी 

 ग 

अष्टानां भुजानां समाहारः  

= अष्टभुजम् 

 घ 

चतुर्णां मुखानां समाहारः  

= चतुर्मुखम् 


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