Sanskrit Class 6 Chapter 5 Vriksha वृक्षाः Translations in Hindi
Sanskrit Class 6 Chapter 5 Vriksha वृक्षाः Translations in Hindi
वने वने निवसन्तो वृक्षाः।
वनं वनं रचयन्ति वृक्षाः।। 1।।
शब्दार्थाः (Word Meaning) -
वने वने - प्रत्येक वन में (in each forest), निवसन्तो - रहते हुए/रहने वाले (living),रचयन्ति - रचते हैं, बनाते हैं (create)।
अन्यय -
बृक्षाः वने वने निवसन्तः, एवम् वृक्षाः वनम् वनम् रचयन्ति।
सरलार्थ -
वृक्ष प्रत्येक वन में निवास करते/रहते हैं ।
इस प्रकार वृक्ष कई जंगल बनाते हैं।
English Translations-
Trees Dwell in every jungle, thus they form (make) many jungles.
शाखादोलासीना विहगाः।
तैः किमपि कूजन्ति वृक्षाः।।2।।
शब्दार्थाः (Word Meaning) -
शाखादोलासीना (शाखादोला + आसीना)- शाखा रूपी झूले पर आसीन् (sitting on the swing of branches), किमपि (किम् + अपि) - कुछ-कुछ (some), कूजन्ति - कूकते/कूकती हैं (chirping),वृक्षाः-पेड़ (trees ), विहगाः-पक्षी (birds), तैः - उनके द्वारा अर्थात् पक्षियों द्वारा (through them by the birds).
अन्यय -
विहगाः शाखादोलासीनाः ।
वृक्षाः तैः किम् अपि कूजन्ति।
सरलार्थ -
पक्षी शाखा रूपी झूले पर बैठे हैं।
मानों वृक्ष उनके माध्यम से कुछ-कुछ रहे हैं अर्थात् कह रहे हैं।
English Translations-
The Birds are sitting on the branches of trees and chirping. It seems that trees are saying something through them.
पिबन्ति पवनं जलं सन्ततम्।
साधुजना इव सर्वे वृक्षाः।।3।।
शब्दार्थाः (Word Meaning) -
पिबन्ति - पीते हैं (drink),पवनं -वायु (air), सन्ततम् - लगातार (continually), साधुजनाः इव-सज्जनों की भाँती(like good noble people), सर्वे -सब (all).
अन्यय -
बृक्षाः सन्ततम् पवनं जलम् च पिवन्ति। सर्वे वृक्षाः साधुजनाः इव (सन्ति)
सरलार्थ -
वृक्ष हमेशा वायु और जल पीते हैं। सभी वृक्ष सज्जनों की भाँति होते हैं। अर्थात् वे सज्जनों के समान हमारा उपकार करते हैं।
English Translations-
Trees continually take water and air only. All trees are like noble persons. i.e., tress show kindness in many ways like noble persons.
स्पृशन्ति पादैः पातालं च।
नभः शिरस्सु वहन्ति वृक्षाः।।4।।
शब्दार्थाः (Word Meaning) -
स्पृशन्ति - स्पर्श करते हैं (touch), पादैः - पैरों से (with foot), पातालं -जमीन के निचे भाग ( underground), नभः -आकाश (the sky), शिरस्सु- सिरों पर (on their head ), वहन्ति- वहन करते हैं (carry).
अन्यय -
वृक्षाः पादैः पातालं स्पृशन्ति शिरस्तु च नभः वहन्ति।
सरलार्थ -
वृक्ष पैरों से (जड़ों से) पाताल को छूते हैं और सिरों पर आकाश को ढोते हैं। अर्थात् वे महान हैं और अत्यधिक कार्यभार सँभालते हैं।
English Translations-
Trees touch the underworld with their feet in their roots. They carry the sky on their heads.
पयोदर्पणे स्वप्रतिबिम्बम् ।
कौतुकेन पश्यन्ति वृक्षाः।।5।।
शब्दार्थाः (Word Meaning) -
पयोदरपणे - जल रूपी दर्पणे/शीशे में (in the mirror like water), स्वप्रतिबिम्बं - अपनी परछाई को (own reflection), कौतुकेन - आश्चर्य से (with surprise/wonder), पश्यन्ति - देखते हैं (see),
अन्यय -
वृक्षाः पयोदर्पणे स्वपतिबिम्बम् कौतुकेन पश्यन्ति।
सरलार्थ -
वृक्ष जल रूपी आईने में अपना प्रतिबिम्ब।
आश्चर्य/ कौतूहल से देखते हैं।
English Translations-
Trees look at their own reflections in mirror like water.
प्रसार्य स्वच्छायासंस्तरणम्।
कुर्वन्ति सत्कारं वृक्षाः।।6।।
शब्दार्थाः (Word Meaning)-
प्रसार्य - फैलाकर (having spread), स्वच्छायासंस्तरणम्- (स्व+छाया+संस्तरणम्) अपने छाया रूपी बिस्तर को (their own shadow which is like a bed), कुर्वन्ति - करते/करती हैं (do),सत्कारम् - आदर-सत्कार (regards).
अन्यय -
वृक्षाः स्वच्छायासंस्तरणम् प्रसार्य सत्कारं कुर्वन्ति।
सरलार्थ -
वृक्ष अपने छाया रूपी बिछौने को फैला कर। अर्थात् बिछा कर सबका आदर-सत्कार करते हैं।
English Translations-
Trees spread out their shadow like a bed and pay respect. (give regards to those who come there)
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Class 6 Sanskrit
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