Sanskrit Class-10  Chapter-4 शिशुलालनम्  NCERT Exercise Solutions 

Sanskrit Class-10  Chapter-4 शिशुलालनम्  NCERT Exercise Solutions

Hello Students here are mention NCERT book Solution for Class 10 Sanskrit Chapter 4 शिशुलालनं Question & Answers, Class 10 Sanskrit Shemushi Chapter 4 शिशुलालनं  Textbook Questions and Answers. Here are solve all 7 Questions in this latest NCERT Exercise of Chapter 4 शिशुलालनं . I hope this post help you to improve your Solutions problem thank you so much visiting our post.     

NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit Shemushi Chapter 4 शिशुलालनम् 

अभ्यासः

Chapter 4 शिशुलालनम्

1.एकपदेन उत्तरं लिखत-

(क) कुशलवौ कम् उपसृत्य प्रणमतः?
Ans: रामम्

(ख) तपोवनवासिनः कुशस्य मातरं कंन नाम्ना आह्वयन्ति?
Ans: देवीति

(ग) वयोऽनुरोधात् कः लालनीयः भवति?
Ans: शिशुः

(घ) केन सम्बन्धन वाल्मीकि: लवकुशयो: गुरुः
Ans: उपनयनोपदेशन्

(ङ) कुत्र लवकुशायाः पितुः नाम न व्यवाहियत?
Ans: तपोवने

2. अधोलिखिताना प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-

(क) रामाय कुशलवयोः कण्ठाश्लेषस्य स्पर्शः कीदृशः आसीत्?
Ans: रामाय कुशलवयोः कण्ठाश्लेषस्य स्पर्शः हृदयग्राही आसीत्।

(ख) रामः लवकुशौ कुत्र उपवेशयितुम् कथयति?
Ans: रामः लवकुशौ अङ्कम् सिंहासनम् उपवेशयितुम् कथयति।

(ग) बालभावात् हिमकरः कुत्र विराजते?
Ans: बालभावात् हिमकरः पशुपति-मस्तके विराजते।

(घ) कुशलवयोः वंशस्य कर्ता क?
Ans: कुशलवयोः वंशस्य कर्ता सहनदीधितिः।

(ङ) कुशलवयोः मातरं वाल्मीकि: केन नाम्ना आह्वयति?
Ans: कुशलवयोः मातरं वाल्मीकिः वधूः नाम्ना आह्वयति।

3. रेखाङ्कितेषु पदेषु विभक्तिं तत्कारणं च उदाहरणानुसार निर्दिशत-

Ans:
(
क) ‘उपवेशयति’ इति पदस्य कारणेन द्वितीया विभक्तिः अस्ति।
(
ख) “धिङ् (धिक्)’ अव्यय कारणेन द्वितीया विभक्तिः अस्ति।
(
ग) ‘अध्यास्यताम्’ इति पदस्य कारणेन द्वितीया विभक्तिः अस्ति।
(
घ) ‘अलम्’ अव्यय कारणेन तृतीया विभक्तिः अस्ति।
(
ङ) ‘उपसृत्य’ इति पदस्य कारणेन द्वितीया विभक्तिः अस्ति।

4. यथानिर्देशम् उत्तरत-

(क) ‘जानाम्यहं तस्य नामधेयम्’ अस्मिन् वाक्ये कर्तृपदं किम्?
Ans: अहम्

(ख) ‘किं कुपिता एवं भणति उत प्रकृतिस्था’-अस्मात् वाक्यात् ‘हर्षिता’ इति पदस्य विपरीतार्थकपदं चित्वा लिखत।
Ans: कुपिता

(ग) विदूषकः (उपसृत्य) ‘आज्ञापयतु भवान्!’ अत्र ‘भवान्’ इति पद कस्मै प्रयुक्तम्?
Ans: रामाय

(घ) ‘तस्मादडू-व्यवहितम् अध्यास्याताम् सिंहासनम्’-अत्र क्रियापदं किम्?
Ans: अध्यास्याताम्

(ङ) ‘वयसस्तु न किञ्चिदन्तरम्’-अत्र ‘आयुषः’ इत्यर्थे किं पदं प्रयुक्तम्?
Ans: वयसः

5. अधोलिखितानि वाक्यानि कः कं प्रति कथयति-

Ans: 

       कः         कम् 

(क) रामः - लवकुशौ। 

(ख) विदूषकः - कुशम्। 

(ग) कुशः - रामम्। 

(घ) लवः - विदूषकम् । 

(ङ) रामः - विदूषकम्।  

6. (अ). मञ्जूषातः पर्यायद्वयं चित्वा पदानां समक्षं लिखत-

Ans:
(
क) शशिः, निशाकरः
(
ख) इदानीम्, अधुना
(
ग) शिष्टाचारः, सदाचारः
(
घ) शिवः, चन्द्रशेखरः
(
ङ) पुत्रः, सुतः
(
च) सूर्य:, भानुः

6. (आ). विशेषण-विशेष्यपदानि योजयत-

Ans:
(1)
उदात्तरम्य: –         (क) समुदाचारः
(2)
अतिदीर्घः –            (घ) प्रवास:
(3)
समरूपः –              (ङ) कुटुम्बवृत्तान्तः
(4)
हृदयगाही –            (ख) स्पर्श:
(5)
कुमारयोः –             (ग) कुशलवयोः

प्रश्न 7(अ).अधोलिखितपदेषु सन्धि कुरुत-

(क) द्वयोः + अपि – _________
(
ख) द्वौ + अपि – _________
(
ग) कः + अत्र – _________
(
घ) अनभिज्ञः + अहम् – _________
(
ङ) इति + आत्मानम् – _________
Ans:
(
क) द्वयोरपि
(
ख) द्वावपि
(
ग) कोऽत्र
(
घ) अनभिज्ञोऽहम्
(
ङ) इत्यात्मानम्

प्रश्न 7(आ).अधोलिखितपदेषु विच्छेदं कुरुत-

(क) अहमप्येतयोः – _________
(
ख) वयोऽनुरोधात् – _________
(
ग) समानाभिजनौ – _________
(
घ) खल्वेतत् – _________
Ans:
(
क) अहम् + अपि + एतयो:
(
ख) वयः + अनुरोधात्
(
ग) समान + अभिजनौ
(
घ) खलु + एतत्

योग्यताविस्तारः
यह पाठ संस्कृतवाङ्मय के प्रसिद्ध नाटक ‘कुन्दमाला’ के पंचम अंक से सम्पादित कर लिया गया है। इसके रचचिता प्रसिद्ध नाटककार दिड्नाग है। इस नाटकांश मे राम कुश और लव को सिंहासन पर बैठाना चाहते है। किन्तु वे दोनों अतिशालीनतापूर्वक मना करते हैं। सिंहासनारूढ राम कुश और लव के सौन्दर्य से आकृष्ट होकर उन्हें अपनी गोद में बिठा लेते हैं। और आनन्दित होते हैं। पाठ में शिशु स्नेह का अत्यन्त मनोहारी वर्णन किया गया है।

नाट्य-प्रसङ्गः
कुन्दमाला के लेखक दिङ्नाग ने प्रस्तुत नाटक में रामकथा के करुण अवसाद भरे उत्तरार्ध की नाटकीय सम्भावनाओं को मौलिकता से साकार किया है। इसी कथानक पर प्रसिद्ध नाटककार भवभूति का उत्तररामचरित भी आश्रित है। कुन्दमाला के छहों अड़ों का दृश्यविधान वाल्मीकि-तपोवन के परिसर में ही केन्द्रित है। प्रस्तुत नाटकांश पञ्चम अङ्क से सम्पादित कर सङ्कलित किया गया है। लव और कुश से मिलने पर राम के हृदय में उनसे आलिंगन की लालसा होती है। उनके स्पर्शसुख से अभिभूत हो राम, उन्हें अपने सिंहासन पर, अपनी गोद में बिठाकर लाड़ करते हैं। इसी भाव की पुष्टि में नाटक में यह श्लोक उद्धत है-

भवति शिशुजनो वयोऽनुरोधाद् गुणमहतामपि लालनीय एव।
व्रजति हिमकरोऽपि बालभावात् पशुपति-मस्तक-केतकच्छदत्वम्।।

शिशुस्नेहसमभावश्लोकाः
अनेन कस्यापि कुलाकुरेण स्पृष्टस्य गात्रेषु सुख ममैवम्।
का निर्वृतिं चेतसि तस्य कुर्याद् यस्यायमकात् कृतिनः प्ररूढः।। 
                                                                        -कालिदासः

अन्त:करणतत्त्वस्य दम्पत्योः स्नेहसंश्रयात्।
आनन्दग्रन्थिरेकोऽयमपत्यमिति पठ्यते।। 
                                                             -भवभूति:

धूलीधूसरतनवः क्रीडाराज्ये स्वके च रममाणाः।
कृतमुखवाद्यविकाराः क्रीडन्ति सुनिर्भर बालाः।। 
                                                                -अज्ञातकवि:

अनियतरुदित स्मित विराजत् कतिपयकोमलदन्तकुड्मलाग्रम्।
वदनकमलकं शिशोः स्मरामि स्खलदसमञ्जसमजुजल्पितं ते।। 
                                                                   -अज्ञातकवि:

Read Also 

NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit All Chapters



 




NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit chapter 8 विचित्रः साक्षी 
 
NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit chapter 9 सूक्तयः 

NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit chapter 10 भूकम्पविभीषिका 

NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit chapter 11 प्राणेभ्योSपि प्रियः सुहृद 

NCERT Solutions for Class 10 Sanskrit chapter 12 अन्योक्तयः 

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

Previous Post Next Post