संस्कृत सुभाषितानि (Sanskrit Subhashitani): -
संस्कृत सुभाषितानि श्लोक हिन्दी अर्थ सहित - (Sanskrit Subhashitani slokas with Meaning in Hindi)
अग्निशेषमृणशेषं शत्रुशेषं तथैव च।
पुनः पुनः प्रवर्धते तस्माच्शेषं न कारयेत्।।
हिंदी अनुवाद -
यदि कोई आग, ऋण, या शत्रु अल्प मात्रा अथवा न्यूनतम सीमा तक भी अस्तित्व में बचा रहेगा तो बार बार बढ़ेगा; अतः इन्हें थोड़ा सा भी बचा नही रहने देना चाहिए। इन तीनों को सम्पूर्ण समाप्त ही कर डालना चाहिए।
नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगैः।
विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता।।
हिंदी अनुवाद -
वन्य जिव शेर का राज्याभिषेक तथा कतिपय कर्मकांड के सञ्चालन के माध्यम से ताजपोशी नहीं करते किन्तु वह अपने कौशल से ही कार्यभार और राजत्व को सहजता व सरलता से धारण कर लेता है।
उद्यमेनैव हि सिध्यन्ति, कार्याणि न मनोरथै।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य, प्रविशन्ति मृगाः।।
हिंदी अनुवाद -
प्रयत्न करने से ही कार्य पूर्ण होते हैं, केवल इच्छा करने से नहीं, सोते हुए शेर के मुख में मृग स्वयं प्रवेश नहीं करते हैं।
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विद्वत्वं च नृपत्वं च न एव तुल्ये कदाचन।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते।।
हिंदी अनुवाद -
विद्वता और राज्य अतुलनीय हैं, राजा को तो अपने राज्य में ही सम्मान मिलता है पर विद्वान का सर्वत्र सम्मान होता है।
Subhashitani Slokas in Sanskrit with Hindi Meaning
पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि जलमन्नं सुभाषितम्।
मूढैः पाषाणखण्डेषु रत्नसंज्ञा प्रदीयते।।
हिंदी अनुवाद -
पृथ्वी पर तीन ही रत्न हैं जल अन्न और अच्छे वचन। फिर भी मुर्ख पत्थर के टुकड़ों को रत्न कहते हैं।
पातितोSपि कराघातै-रुत्पतत्येव कन्दुकः।
प्रायेण साधुवृत्तानाम्-स्थायिन्यो विपत्तयः।।
हिंदी अनुवाद -
हाथ से पटकी हुई गेंद भी भूमि पर गिरने के बाद ऊपर की और उठती है, सज्जनों का बुरा समय अधिकतर थोड़े समय के लिए ही होता है।
सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यमप्रियं।
प्रियं च नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः।।
हिंदी अनुवाद -
सदा सत्य बोलें पर अप्रिय सत्य न बोलें और प्रिय असत्य न बोलें, ऐसी सनातन रीती है।
मूर्खस्य पञ्च चिन्हानि गर्वो दुर्वचनं तथा।
क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः।।
हिंदी अनुवाद -
मूर्खों का पाँच लक्षण हैं - गर्व, अपशब्द, क्रोध, हठ और दूसरों की बातों का अनादर।
संस्कृत सुभाषितानि
अतितृष्णा कर्तव्या तृष्णां नैव परित्यजेत।
शनैः शनैश्च भोक्तव्यं स्वयं वित्तमुपार्जितम्।।
हिंदी अनुवाद -
अधिक इच्छाएं नहीं करनी चाहिए पर इच्छाओं का सर्वथा त्याग भी नहीं करना चाहिए। अपने कमाये हुए धन का धीरे-धीरे उपभोग करना चाहिये।
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अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयन्ति प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च।
पराक्रमश्चबहुभाषिता च दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च।
हिंदी अनुवाद-
आठ गुण पुरुष को सुशोभित करते हैं- बुद्धि, सुन्दर चरित्र, आत्म-नियंत्रण, शास्त्र-अध्ययन, साहस, मितभाषिता, यथाशक्ति दान और कृतज्ञता।
Subhashitani Slokas in Sanskrit with Hindi Meaning
कश्चित् विजानाति किं कस्य श्वो भविष्यति।
अतः श्वः करणीयानि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान।।
हिंदी अनुवाद -
कल क्या होगा यह कोई नहीं जानता है इसलिए कल के करने योग्य कार्य को आज कर लेने वाला ही बुद्धिमान है।
सुभाषितानि श्लोक
क्षणशः कणशश्चैव विद्यामार्थं च साधयेत्।
क्षणत्यागे कुतो विद्या कणत्यागे कुतो धनम्।।
हिंदी अनुवाद-
क्षण-क्षण विद्या के लिए और कण-कण धन के लिए प्रसन्न करना चाहिए। समय नष्ट करने पर विद्या और साधनों के नष्ट करने पर धन कैसे प्राप्त हो सकता है।
गते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत्।
वर्तमानेन् कालेन वर्तयन्ति विचक्षणाः।।
हिंदी अनुवाद -
बीते हुए समय का शोक नहीं करना चाहिए और भविष्य के लिए परेशान नहीं होना चाहिए, बुद्धिमान तो वर्तमान में ही कार्य करते हैं।
क्षमा बालमशक्तानाम् शक्तानाम् भूषणम क्षमा।
क्षमा वशीकृते लोके क्षमयाः किम् न सिद्ध्यति।।
हिंदी अनुवाद -
क्षमा निर्बलों का बल है, क्षमा बलवानों का आभूषण है, क्षमा ने इस विश्व को वश में किया हुआ है, क्षमा से कौन सा कार्य सिद्ध नहीं हो सकता है।
Sanskrit Subhashita Slokas with Hindi Meaning
आयुषः क्षण एकोSपि सर्वरत्नैर्न न लभ्यते।
नियते स वृथा येन प्रमादः सुमहानहो।।
हिंदी अनुवाद -
आयु का एक सरे रत्नों को देने से प्राप्त नहीं किया जा सकता है, अतः इसको व्यर्थ में नष्ट कर देना महान असावधानी है।
नारिकेलसमाकरा दृश्यन्तेSपि हि सज्जनाः।
अन्ये बदरिकाकारा बहिरेव मनोहराः।।
हिंदी अनुवाद -
सज्जन व्यक्ति नारिकेल के समान होते हैं, अन्य तो बदरी फल के समान केवल बाहर से ही अच्छे लगते हैं।
नाभिषेको न संस्कार सिंहस्य क्रियते वने।
विक्रमार्जितसत्वस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता।।
हिंदी अनुवाद -
कोई और सिंह का वन के राजा जैसे अभिषेक या संस्कार नहीं करता है, अपने पराक्रम के बल पर वह स्वयं पशुओं का राजा बन जाता है।
Subhashitani Shlok
यः पठति लिखति पश्यति परिपृच्छति पंडितान उपाश्रयति।
तस्य दिवाकरकिरणैः नलिनी दलं विस्तारिता बुद्धिः।।
हिंदी अनुवाद -
जो पढ़ता है, लिखता है, देखता है, प्रश्न पूछता है, बुद्धिमानों का आश्रय लेता है, उसकी बुद्धि उसी प्रकार बढ़ती है जैसे की सूर्य किरणों से कमल की पंखुड़ियाँ।
विदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मतिः।
परलोके धनं शीलं सर्वत्र वै धनम्।।
हिंदी अनुवाद -
विदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में धर्म धन है और शील सर्वत्र ही धन है।
सुभाषितानि अर्थ सहित
उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।
सोत्साहस्य च लोकेषु न किञ्चिदपि दुर्लभम्।।
हिंदी अनुवाद -
उत्साह श्रेष्ठ पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है।
उदये सविता रक्तो रक्तःश्चास्तमये तथा।
सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता।।
हिंदी अनुवाद -
उदये होते समय सूर्य लाल होते है और और अस्त होते समय भी लाल होता है, सत्य है, महापुरुष सुख और दुःख में समान रहते हैं।
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