Sanskrit Class 8 Chapter 8 संसारसागरस्य नायकाः Translations in Hindi
Sanskrit Class 8 Chapter 8 Translations in Hindi + English Translation
संसारसागरस्य नायकाः
"संसारसागरस्य नायकाः" पाठ अनुपम मिश्र की कृति आज भी खरे हैं तालाब के संसार सागर के नायक नामक अध्याय से लिया गया है। इसमें विलुप्त होते जा रहे पारम्परिक ज्ञान, कौशल एवं शिल्प के धनी गजधर के सम्बन्ध में चर्चा की गयी है। पानी के लिए मानव निर्मित तालाब, बाबड़ी जैसे निर्माणों को लेखक ने यहाँ संसार सागर के रूप में चित्रित किया है।
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संसारसागरस्य नायकाः
के आसन ते अज्ञातनामानः ?
शतशः सहस्रशः तडागाः सहसैव शून्यात न प्रकटीभूताः। इमे एव तडागाः अत्र संसारसागराः इति। एतेषां आयोजनस्य नेपथ्ये निर्मापयितृणाम एकक, निर्मातृणां च दशकम आसीत। एतत एककं दशकम च आहत्य शतकं सहस्रं वा रचयतः स्म। परं विगतेषु द्विशतवर्षेषु नूतनपद्धत्या समाजेन यत्किञ्चित पठितम। पठितेन तेन समाजेन एककं दशकं सहस्रकञ्च इत्येतानि शून्ये एव परिवर्तितानि।
हिन्दी अनुवाद( Hindi Translation): -
वे अज्ञात नाम वाले कौन थे ?
सैकड़ों हज़ारों तालाब अचानक ही शुन्य से प्रकट नहीं हुए हैं। ये ही तालाब यहाँ संसार रूपी सागर हैं। इनकी योजना के पीछे बनवाने वालों की इकाई और बनाने वालों की दहाई थी। यह इकाई और दहाई मिलकर सैकड़ों अथवा हजारों को बनाते थे। परन्तु पिछले दो सौ वर्षों में नई पद्धति से समाज ने जो कुछ पढ़ा है, उस पढ़े हुए समाज से इकाई, दहाई और सैकड़ा ये शून्य में ही बदल गए हैं।
अस्य नूतनसमाजस्य मनसि इयमपि जिज्ञासा नैव उद्भूता यद् अस्मात्पूर्वम एतावतः तडागान के रचयन्ति स्म। एतादृशानि कार्याणि कर्तुं ज्ञानस्य यो नूतनः प्रविधिः विकसितः, तेन प्रविधिनाSपि पूर्वं सम्पादितम एतत्कार्यं मापयितुं न केनापि प्रयतितम।
हिन्दी अनुवाद( Hindi Translation): -
इस नए समाज के मन में यह जानने की इच्छा भी नहीं पैदा हुई कि इससे पहले इन तालाबों को किसने बनाया था। ऐसे कार्य करने के लिए ज्ञान की जो नई तकनीक विकसित हुई, उस तकनीक से भी पहले किए गए इस कार्य को नापने के लिए किसी ने भी प्रयास नहीं किया।
अद्य ये अज्ञातनामानः वर्तन्ते, पुरा ते बहु प्रथिताः आसन। अशेषे हि देशे तडागाः निर्मीयन्ते स्म, निर्मातारोSपि अशेषे देशे निवसन्ति स्म।
गजधरः इति सुन्दरः शब्दः तडागनिर्मातृणां सादरं स्मरणार्थम। राजस्थानस्य केषुचिद भागेषु शब्दोSयम अद्यापि प्रचलित। कः गजधरः ? यः गजपरिमाणं धारयति स गजधरः।
गजपरिमाणम एव मापनकार्ये उपयुज्यते। समाजे त्रिहस्त - परिमाणात्मिकीं लौहयष्टिं हस्ते गृहीत्वा चलन्तः गजधराः इदानीं शिलपिरूपेण नैव समादृताः सन्ति। गजधरः, यः सामजस्य गाम्भीर्यं मापयेत इत्यस्मिन रुपे परिचितः।
हिन्दी अनुवाद( Hindi Translation): -
आज जो अपरिचित नाम वाले हैं अर्थात जिन्हें कोई नहीं जानता, पहले वे बहुत प्रसिद्ध थे। निश्चय से सम्पूर्ण देश में तालाब बनाए जाते थे, बनाने वाले भी सम्पूर्ण देश में रहते थे।
गजाधर यह सुन्दर शब्द तालाब बनाने वालों के सादर स्मरण के लिए है। राजस्थान के कुछ भागों में यह शब्द आज भी प्रचलित है। गजधर कौन होता है ? जो गज के माप को धारण करता है वह गजधर होता है।
गज का माप ही नापने के काम में उपयोगी होता है। समाज में तीन हाथ के बराबर लोहे की छड़ को हाथ में लेकर चलते हुए गजधर आजकल कारीगर के रूप में आदर नहीं पाते हैं। गजधर अर्थात जो समाज की गम्भीरता को नापे इसी रूप में जाने जाते हैं।
गजधराः वास्तुकाराः आसन। कामं ग्रामीणसमाजो भवतु नागरसमाजो वा तस्य नव-निर्माणस्य सुरक्षाप्रबन्धस्य च दायित्वं गजधराः निभालयन्ति स्म। नगरनियोजनात लघुनिर्माणपर्यन्तं सर्वाणि कार्याणि एतेष्वेव आधृतानि आसन। ते योजनां प्रस्तुवन्ति स्म, भविव्ययम आकलयन्ति, स्म, उपकरणभारान सुंगृह्णन्ति स्म। प्रतिदाने ते न तद याचन्ते स्म यद् दातुं तेषां स्वामिनः असमर्थाः भवेयुः। कार्यसमाप्तौ वेतनानि अतिरिच्य गजधरेभ्यः सम्मानमपि प्रदीयते स्म।
नमः एतादृशेभ्यः शिल्पिभ्यः।
हिन्दी अनुवाद( Hindi Translation): -
गजधर वास्तुकार (नक्शा तथा भवन आदि बनाने वाले) थे। चाहे ग्रामीण समाज हो अथवा शहरी समाज, उसके नवनिर्माण की और सुरक्षा प्रबन्ध की जिम्मेदारी गजधर निभाते थे। नगर की योजना से लेकर छोटे से निर्माण तक सारे कार्य इन्हीं पर ही आधारित थे। वे योजना को रखते थे, आने वाले खर्च का अनुमान करते थे , साधन सामग्री को इकट्ठा करते थे। बदले में वे वह (राशि, पैसा) नहीं माँगते थे जिसे देने में उनके मालिक असमर्थ हों। काम के अन्त में वेतन के अतिरिक्त गजधरों को सम्मान भी दिया जाता था।
ऐसे शिल्पियों को नमस्कार है।
English Translation- Coming Soon....
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Class 8 Sanskrit Chapter 8 Summary in Hindi
👉वे (लोग) अज्ञात नाम वाले कौन थे ?
सैकड़ों हज़ारों तालाब अचानक ही शुन्य से प्रकट नहीं हुए हैं। ये ही तालाब यहाँ संसार रूपी सागर हैं। इनकी योजना के पीछे बनवाने वालों की इकाई और बनाने वालों की दहाई थी। यह इकाई और दहाई मिलकर सैकड़ों अथवा हजारों को बनाते थे। परन्तु पिछले दो सौ वर्षों में नई पद्धति से समाज ने जो कुछ पढ़ा है, उस पढ़े हुए समाज से इकाई, दहाई और सैकड़ा ये शून्य में ही बदल गए हैं।
👉इस नए समाज के मन में यह जानने की इच्छा भी नहीं पैदा हुई कि इससे पहले इन तालाबों को किसने बनाया था। ऐसे कार्य करने के लिए ज्ञान की जो नई तकनीक विकसित हुई, उस तकनीक से भी पहले किए गए इस कार्य को नापने के लिए किसी ने भी प्रयास नहीं किया।
👉आज जो अपरिचित नाम वाले हैं अर्थात जिन्हें कोई नहीं जानता, पहले वे बहुत प्रसिद्ध थे। निश्चय से सम्पूर्ण देश में तालाब बनाए जाते थे, बनाने वाले भी सम्पूर्ण देश में रहते थे।
👉गजाधर यह सुन्दर शब्द तालाब बनाने वालों के सादर स्मरण के लिए है। राजस्थान के कुछ भागों में यह शब्द आज भी प्रचलित है। गजधर कौन होता है ? जो गज के माप को धारण करता है वह गजधर होता है।
👉गज का माप ही नापने के काम में उपयोगी होता है। समाज में तीन हाथ के बराबर लोहे की छड़ को हाथ में लेकर चलते हुए गजधर आजकल कारीगर के रूप में आदर नहीं पाते हैं। गजधर अर्थात जो समाज की गम्भीरता को नापे इसी रूप में जाने जाते हैं।
👉गजधर वास्तुकार थे (नक्शा तथा भवन आदि बनाने वाले) । चाहे ग्रामीण समाज हो अथवा शहरी समाज, उसके नवनिर्माण की और सुरक्षा प्रबन्ध की जिम्मेदारी गजधर निभाते थे। नगर की योजना से लेकर छोटे से निर्माण तक सारे कार्य इन्हीं पर ही आधारित थे। वे योजना को रखते थे, आने वाले खर्च का अनुमान करते थे , साधन सामग्री को इकट्ठा करते थे। बदले में वे वह (राशि, पैसा) नहीं माँगते थे जिसे देने में उनके मालिक असमर्थ हों। काम के अन्त में वेतन के अतिरिक्त गजधरों को सम्मान भी दिया जाता था।
ऐसे शिल्पियों को नमस्कार है।
Sanskrit Class 8 Chapter 8 Translations in Hindi
शब्दार्थाः ( Word Meaning):-
संस्कृत |
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सहसैव |
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प्रकटीभूताः |
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नेपथ्ये |
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तडागाः |
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निर्मापयितृणाम |
|
निर्मातृणाम |
|
एककं |
|
शतकम |
|
सहस्रकम |
|
जिज्ञासा |
|
उद्भूता |
|
अस्मातपूर्वम |
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मापयितुम |
|
प्रयतितम |
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बहुप्रथिताः |
|
अशेषे |
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निर्मीयन्ते स्म |
|
निर्मातारः |
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गजधरः |
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त्रिहस्तपरिमानात्मिकीम |
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लौहयष्टिम |
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समादृताः |
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गाम्भीर्यं |
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वास्तुकाराः |
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कामम |
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निभालयन्ति स्म |
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आधृतानि |
आधारित |
आकलयन्ति स्म |
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उपकरणसम्भारान |
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सङ्गगृह्णन्ति स्म |
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प्रतिदाने |
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याचन्ते स्म |
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अतिरिच्य |
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