Sanskrit Class 8 Chapter 7  भारतजनताSहम् Translations in Hindi 


Sanskrit Class 8 Chapter 7  भारतजनताSहम् Translations in Hindi

Sanskrit Class 8 Chapter 7  भारतजनताSहम् Translations in Hindi 

भारतजनताSहम् 

Sanskrit Class 8 Chapter 7  "भारतजनताSहम्" प्रस्तुत कविता आधुनिक कविकुलशिरोमणि डॉ. रमाकान्त शुक्ला द्वारा रचित काव्य 'भारतजनताSहम्' से साभार उद्धृत है।  इस कविता में कवि भारतीय जनता के सरोकारों, विविध कौशलों, विविध रुचियों आदि का उल्लेख करते हुए बताते हैं कि भारतीय जनता की क्या-क्या विशेषताएँ हैं। 

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Sanskrit Class 8 Chapter 7  भारतजनताSहम् Translations in Hindi :-

"अभिमानधना विनयोपेता, शालीना भारतजनताSहम्। 

कुलिशादपि कठिनां कुसुमादपि, सुकुमारा भारतजनताSहम्।।1।।"

अन्वय: -

अहम्  भारतजनता अभिमानधना, विनयोपेता शालीना। अहम्  भारतजनता  कुलिशादपि कठिनां , कुसुमादपि सुकुमारा (अस्समि)। 

हिन्दी अनुवाद(Hindi Translation): -

मैं स्वाभिमान  रूपी धन वाली, विनम्रता से परिपूर्ण और शालीन भारत की जनता हूँ।  मैं वज्र से भी कठोर और फूलो से भी कोमल भारत की जनता हूँ। 

"निवसामि  समस्ते संसारे, मन्ये च कुटुम्बं वसुन्धराम्। 

प्रेयः श्रेयः च चिनोम्युभयं, सुविवेका भारतजनताSहम्।।2।।"

अन्वय :-

अहम् भारतजनता समस्ते संसारे निवसामि, अहम् वसुन्धरां च कुटुम्बकं मन्ये। सुविवेका (भारतजनताछहमु) प्रेयः च उभयं चिनोमि। 

 हिन्दी अनुवाद(Hindi Translation): -

 मैं भारत की जनता, सम्पूर्ण संसार में निवास करती हूँ, पूरी पृथ्वी को अपना परिवार मानती हूँ, में सुबुद्धि (अच्छी बुद्धिवाली) भारत की जनता, प्रिय और कल्याणकारी दोनों को चुनती हूँ। 

"विज्ञानधनाSहं ज्ञानधना, साहित्यकला-सङ्गीतपरा। 

अध्यात्मसुधातटिनी-स्नानैः, परिपूता भारतजनताSहम्।।3।।" 

अन्वय: -

अहम् भारतजनता ज्ञानधना, विज्ञानधना (अस्मि), साहित्य-कला, सङ्गीतपरा(अस्मि)। अहम् अध्यात्मसुधातटिनी-स्नानैः परिपूता (अस्मि)।  

 हिन्दी अनुवाद(Hindi Translation): -

मैं भारत की जनता, ज्ञान और विज्ञान रूपी धन वाली हूँ, मैं साहित्य, संगीत कला आदि के ज्ञान से परिपूर्ण हूँ।  मैं अध्यात्मरूपी अमृतमयी नदी जल द्वारा पवित्र (भारत की जनता ) हूँ। 

"मम गीतैर्मुग्धं समं जगत्, मम नृत्यैर्मुग्धं समं जगत्। 

मम काव्यैर्मुग्धं समं जगत्, रसभरिता भारतजनताSहम्।।4।।" 

अन्वय: -

मम गीतैः समं जगत् मुग्धं, मम नृत्यः समं जगत् मुग्धं, मम काव्यैः समं जगत् मुग्धं, अहम् रसभरिता भारत जनता (अस्मि)।

  हिन्दी अनुवाद(Hindi Translation): -

मेरे गीतों से सारा संसार मुग्ध है; मेरे नृत्य से सारा संसार मुग्ध है, मेरे काव्य से सारा संसार मुग्ध है, मैं आनंद रस से परिपूर्ण भारत की जनता हूँ। 

"उत्सवप्रियाSहं श्रमप्रिया, पदयात्रा-देशाटन-प्रिया। 

लोकक्रीडासक्ता वर्धेSतिथिदेवा, भारतजनताSहम्।।5।।" 

अन्वय -

अहम् भारतजनता उत्सवप्रिया, श्रमप्रिया, पदयात्रा-देशाटन-प्रिया, लोकक्रीडासक्ता, अहम् अतिथिदेवा वर्ध।

 हिन्दी अनुवाद(Hindi Translation): -

मै उत्सव को पसंद करने वाली, परिश्रम को पसंद करने वाली, पदयात्रा द्वारा देश-भ्रमण को पसंद करने वाली, लोकक्रीडा, पारम्परिक खेलों में अनुराग, स्नेह रखने वाली,अतिथि को देवताओं से बढ़कर मानने वाली/भारत की जनता हूँ।  

"मैत्री मे सहजा प्रकृतिरस्ति, नो दुर्बलतायाः पर्यायः।

मित्रस्य चक्षुषा संसारं, पश्यन्ती    भारतजनताSहम्।।6।।" 

अन्वय -

मैत्री मे सहजा प्रकृतिरस्ति, दुर्बलतायाः पर्यायः नो, मित्रस्य चक्षुषा संसारं पश्यन्ती अहम् भरतजनताअस्मि । 

 हिन्दी अनुवाद(Hindi Translation): -

मित्रता मेरे सहज स्वभाव है, यह हमारी दुर्बलता, कमजोरी का पर्याय नहीं है, मैं मित्र की आँखें दृष्टि से संसार को देखने वाली भारत की जनता हूँ। 

"विश्वस्मिन् जगति गताहमस्मि, विश्वस्मिन जगति सदा दृश्ये। 

विश्वस्मिन् जगति करोमि कर्म, कर्मण्या भारतजनताSहम्।।7।।" 

अन्वय -

अहम् विश्वस्मिन जगति गता अस्मि, अहम् विश्वस्मिन जगति सदा दृश्ये, अहम् कर्मण्या भारतजनता विश्वस्मिन जगति कर्म करोमि। 

 हिन्दी अनुवाद(Hindi Translation): -

मैं सम्पूर्ण विश्व ही गई हुई हूँ, मैं सम्पूर्ण विश्व में देखी जाती हूँ, मैं कर्मशील भारत की जनता हूँ जो सम्पूर्ण विश्व में कार्य करती हूँ। 

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Sanskrit Class 8 Chapter 7  Summary in Hindi:-

1st मैं स्वाभिमान  रूपी धन वाली, विनम्रता से परिपूर्ण और शालीन भारत की जनता हूँ।  मैं वज्र से भी कठोर और फूलो से भी कोमल भारत की जनता हूँ। 

2nd मैं भारत की जनता, सम्पूर्ण संसार में निवास करती हूँ, पूरी पृथ्वी को अपना परिवार मानती हूँ, में सुबुद्धि (अच्छी बुद्धिवाली) भारत की जनता, प्रिय और कल्याणकारी दोनों को चुनती हूँ। 

3rd मैं भारत की जनता, ज्ञान और विज्ञान रूपी धन वाली हूँ, मैं साहित्य, संगीत कला आदि के ज्ञान से परिपूर्ण हूँ।  मैं अध्यात्मरूपी अमृतमयी नदी जल द्वारा पवित्र (भारत की जनता ) हूँ। 

4th मेरे गीतों से सारा संसार मुग्ध है; मेरे नृत्य से सारा संसार मुग्ध है, मेरे काव्य से सारा संसार मुग्ध है, मैं आनंद रस से परिपूर्ण भारत की जनता हूँ। 

5th मै उत्सव को पसंद करने वाली, परिश्रम को पसंद करने वाली, पदयात्रा द्वारा देश-भ्रमण को पसंद करने वाली, लोकक्रीडा, पारम्परिक खेलों में अनुराग, स्नेह रखने वाली,अतिथि को देवताओं से बढ़कर मानने वाली/भारत की जनता हूँ। 

6th मित्रता मेरे सहज स्वभाव है, यह हमारी दुर्बलता, कमजोरी का पर्याय नहीं है, मैं मित्र की आँखें दृष्टि से संसार को देखने वाली भारत की जनता हूँ। 

7th मैं सम्पूर्ण विश्व ही गई हुई हूँ, मैं सम्पूर्ण विश्व में देखी जाती हूँ, मैं कर्मशील भारत की जनता हूँ जो सम्पूर्ण विश्व में कार्य करती हूँ। 

शब्दार्थाः (Word Meaning): 

 संस्कृत 

हिन्दी  

अभिमानधना 

स्वाभिमान रूपी धन वाली  

विनयोपेता 

विनम्रता से परिपूर्ण  

कुलिशादपि 

वज्र से भी  

कठिना 

कठोर  

कुसुमादपि 

फूल से भी  

वसुन्धराम् 

पृथ्वी को  

प्रेयः 

अच्छा लगने वाला 

श्रेयः 

कल्याणकर, कल्याणप्रद   

चिनोम्यभयम् 

दोनों को ही चुनती हूँ 

अध्यात्मसुधातटिनी-स्नानैः 

अध्यात्मरुपी अमृतमयी नदी में स्नान से  

परिपूता 

पवित्र  

रसभरिता 

आनंद से परिपूर्ण  

आसक्ता 

अनुराग रखने वाली  

प्रकृतिः 

स्वभाव  

कर्मण्या 

कर्मशील 

सुकुमारा 

अत्यन्त कोमल 

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